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सुबह से नहीं खुला स्कूल, दोपहर तक लौटे बच्चे-शासकीय प्राथमिक शाला नयापुरा (चमपानेर) में शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल।

सुबह से नहीं खुला स्कूल, दोपहर तक लौटे बच्चे-शासकीय प्राथमिक शाला नयापुरा (चमपानेर) में शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल।
रायसेन की आवाज़ न्यूज़।

रायसेन।विकासखंड ओबेदुल्लागंज के अंतर्गत आने वाली शासकीय प्राथमिक शाला नयापुरा (चमपानेर) में गुरुवार को शिक्षा विभाग की लापरवाही का बड़ा उदाहरण देखने को मिला। जानकारी के अनुसार, सुबह से ही स्कूल के दरवाज़े बंद रहे और बच्चे घंटों तक विद्यालय खुलने का इंतज़ार करते रहे। लगभग दोपहर 12 बजे तक विद्यालय नहीं खुला, जिसके बाद निराश होकर नन्हें विद्यार्थी वापस अपने घर लौटते हुए दिखाई दिए।
इस घटना ने क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 

जहां एक ओर सरकार बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की लापरवाही योजनाओं के प्रभाव पर प्रश्नचिह्न लगा रही है।

जब इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी डी.डी. रजक से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने दो बार कॉल रिसीव नहीं किया। 

वहीं बीआरसी ओबेदुल्लागंज सतीश कुशवाहा से बात करने पर उन्होंने कहा, “आप खबर छापिए लेकिन सबूत और तथ्य साथ रखिए, क्योंकि अगर कल कोई कहे कि स्कूल खुला था तो प्रमाण दे देना।”


सरकार की पहल - शिक्षा सबके लिए
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।

“सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा” के तहत प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना, मिड-डे मील योजना, और समग्र शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं के माध्यम से गरीब व ग्रामीण अंचल के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति, बच्चों की नियमितता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा मॉनिटरिंग सिस्टम भी लागू किया गया है।
फिर भी नयापुरा जैसे स्कूलों में ताले लटकना इस बात का संकेत है कि योजनाएं जमीनी स्तर तक पूरी तरह नहीं पहुंच पा रही हैं। गरीब और ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे जिनके भविष्य को बदलने की जिम्मेदारी स्कूलों पर है, वही दरवाज़े बंद पाकर घर लौट रहे हैं यह स्थिति चिंताजनक है।

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