*जिला अस्पताल से लेकर मेहताब के ईंट भट्ठे तक।*
रायसेन की आवाज़ न्यूज़।
*माँ का अकेला सफ़र, मासूम की मौत और मेहताब के भट्ठे की हकीकत ने प्रशासन की नींद उड़ाई!*
*तारिक खान (रायसेन)*
रायसेन। शहर से महज 6–7 किलोमीटर दूर, रतनपुर और सदालतपुर के बीच “घांट” के अंदर स्थित मेहताब के ईंट भट्ठे पर काम करने वाले मज़दूर परिवार की दर्दनाक कहानी ने पूरे जिले को हिला कर रख दिया है।
कल रात जिला अस्पताल में एक 4–5 साल के मासूम की मौत हुई, और उसकी माँ तीन बच्चों के साथ अकेली संघर्ष करती रही — साथ में सिर्फ 7 साल की बेटी और एक 2–3 महीने की दुधमुंही बच्ची या बच्चा।
*अस्पताल ने हमेशा की तरह औपचारिकता निभाई*
“मृतदेह तुरंत ले जाओ।”
ना संवेदना, ना कोई मदद, ना कोई सहयोग।
माँ को 108 शव वाहन से रात 1:30 बजे उसके भट्ठे तक पहुँचा दिया गया, लेकिन वहाँ तो पहले से ही मजदूरों की असलियत दबी पड़ी थी।
*ठेकेदार और सिस्टम की क्रूरता*
महिला के पति का बयान
महिला के पति ने बताया कि भट्ठे पर काम करवाने वाले ठेकेदार पहले ही कह चुके थे।
“काम नहीं करोगे तो पैसे नहीं मिलेंगे।”
यह बात तब कही गई होगी जब बच्चा भर्ती था या जब मजदूरों ने छुट्टी माँगी होगी मतलब इंसानियत से ज्यादा काम की जबरदस्ती का बोझ। और ये सब होता है मेहताब के भट्ठे पर। जहाँ नियमों की धज्जियाँ उड़ाना जैसे रोज़ का हिस्सा है।
*ईंट भट्ठे की असलियत-नज़दीक शहर, लेकिन हालात सदियों पुराने*
रायसेन से 6–7 किमी दूरी पर होने के बावजूद मेहताब का यह भट्ठा न सुरक्षा नियमों का पालन करता है न मज़दूरों का रजिस्टर सही है न स्वास्थ्य सुविधा
न बच्चों के लिए शिक्षा या सुरक्षा
और न ही श्रम कानूनों का सम्मान
इसका मतलब साफ़ है।
भट्ठा चल रहा है… कानून सो रहा है।
*खनिज विभाग पर सीधे सवाल*
क्या खनिज विभाग को रायसेन से इतना पास में चल रहे इस भट्ठे की हालत का पता नहीं?
अगर पता है तो कार्रवाई क्यों नहीं?
और अगर पता ही नहीं तो फिर निरीक्षण किसका हो रहा है। कागज़ पर-या हवा में?
अनिवार्य माँग-मजदूरों और बच्चों के लिए स्वास्थ्य + शिक्षा
*इस खबर के बाद सबसे जरूरी है।*
*हर मजदूर का हर महीने स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य हो भट्ठे पर धूल, धुआँ, चूल्हे और गर्मी से मजदूर सबसे ज्यादा बीमार होते हैं।*
*मजदूरों के बच्चों को शिक्षा व मासिक स्वास्थ्य परीक्षण मिले। यह बच्चे मजदूरी की छाया में पनप रहे हैं, उनका भविष्य भी प्रशासन की जिम्मेदारी है।*
*ईंट भट्ठों की नियमित सरकारी टीम से जाँच सिर्फ कागज़ों में नहीं — ग्राउंड पर जाकर।*
*जिले के मुखिया कलेक्टर महोदय रायसेन से सीधे सवाल*
*क्या मेहताब के भट्ठे की तत्काल जाँच होगी?*
*क्या मजदूरों के शोषण और नियम उल्लंघन पर FIR दर्ज होगी?*
*क्या जिला अस्पताल की संवेदनहीनता पर कार्रवाई होगी?*
*क्या खनिज विभाग से जवाब माँगा जाएगा?*
*क्या आसपास के सभी भट्ठों का रियल-टाइम निरीक्षण होगा?*
यह सिर्फ़ एक बच्चे की मौत नहीं…
यह प्रशासन, स्वास्थ्य व्यवस्था और मज़दूर कानूनों पर एक बड़ा सवाल है।
अब चुप्पी नहीं—कार्रवाई चाहिए।
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